Dr. Pawan kumar

शिवलिंग के प्रकार और उत्पत्ति कथा

शिवलिंग के प्रकार का वर्णन

भारत में भगवान शिव की पूजा मानव और लिंग दो रूपों में की जाती है। लेकिन शिव मंदिरों में प्रधान देवता की मूर्ति के रूप में शिवलिंग की स्थापना की जाती है और मुख्य रूप से उनकी पूजा होती है। आम हिंदू धर्मावलंबी भी विभिन्न प्रकार के पदार्थों से शिवलिंग की स्थापना कर उसकी पूजा करते हैं। भारत में शिवलिंग पूजा की परंपरा प्राचीन काल से ही रही है  जिसके साहित्यिक और पुरातात्विक प्रमाण उपलब्ध …

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सूर्य उपासना का महापर्व : मकर संक्रांति

मकर संक्रांति शुभकामनाएं

सूर्य पर आधारित अनेक पर्वों व त्योहारों की कल्पना की गई है जिनमें एक मकर संक्रांति भी है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। संक्रांति का अर्थ है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। यही क्रिया जब मकर राशि में होती है तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति से मकर राशिस्थ सूर्य उत्तर की ओर यात्रा प्रारंभ करता है जिसे सूर्य का उत्तरायण कहते हैं। इस …

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काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – दर्शन से मोक्ष प्राप्ति

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में से सातवाँ ज्योतिर्लिंग है। इसे विशेश्वर या विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। गंगा तट स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। काशी को भगवान शिव की नगरी और भोलेनाथ को काशी का महाराजा कहा जाता है। वाराणसी को अविमुक्त क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र …

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सबसे ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर

हिंदू धर्म के पवित्र तीर्थ स्थलों में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ ज्योतिर्लिंग सबसे ऊंचाई पर स्थित ज्योतिर्लिंग है। उत्तराखण्ड के सीमान्त जनपद रूद्रप्रयाग के उत्तरी भाग में हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य केदारनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है। श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को केदारेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदाकिनी नदी के तट पर समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग …

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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

महाराष्ट्र में औरंगाबाद के नजदीक दौलताबाद से बारह मील दूर वेरुल गाँव के पास घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थित है। बारह ज्योतिर्लिंगों में यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इसे घुश्मेश्वर, घुसृणेश्वर या घृष्णेश्वर कहा जाता है। यह शिवलिंग शिव की परम भक्त रही घुश्मा की भक्ति का स्वरूप है। ज्योतिर्लिंग ‘घुश्मेश’ के समीप ही एक सरोवर भी है, जिसे शिवालय के नाम से जाना जाता है। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएँ इस मंदिर के …

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