Dr. Pawan kumar

भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की कथा

कूर्म अवतार की कथा

जब-जब लोक में धर्म की हानि हुई है तब-तब भगवान विष्णु ने धर्म की पुनर्स्थापना के लिए अवतार धारण किया है। भगवान विष्णु के दशावतार की चर्चा विभिन्न धर्म ग्रंथों में की गई है। इन 10 अवतारों में दूसरा अवतार कूर्म अवतार माना जाता है। पद्म पुराण के ब्रह्म खंड में भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की कथा का विस्तार से वर्णन किया गया है। कूर्म अवतार की चर्चा नरसिंह पुराण, भागवत पुराण, शतपथ ब्राह्मण, …

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भगवान विष्णु के परशुराम अवतार की कथा

परशुराम अवतार की कथा

रामायण, महाभारत, भागवत पुराण, कल्कि पुराण, हरिवंश पुराण, अध्यात्म रामायण इत्यादि विभिन्न ग्रंथों में भगवान परशुराम अवतार की कथा का वर्णन है। भगवान विष्णु के 10 अवतारों में परशुराम को छठा अवतार माना जाता है। परशुराम को विष्णु का आवेशावतार भी कहा जाता है। भगवान परशुराम को भगवान विष्णु और शिव का संयुक्त अवतार माना जाता है। शिव से उन्होंने संहार लिया और विष्णु से उन्होंने पालक के गुण प्राप्त किए। अध्यात्म रामायण में कहा …

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क्या है शालिग्राम पत्थर की विशेषता?

शालिग्राम पत्थर

अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इस मंदिर में स्थापित होने वाली भगवान श्री राम और माता सीता की मूर्ति का निर्माण शालिग्राम पत्थर से किया जाएगा। शालिग्राम पत्थर को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और इसे भगवान विष्णु के प्रतिनिधित्व के रूप में पूजा जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपना भौतिक रूप छोड़ दिया था और शालिग्राम पत्थर में …

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महाशिवरात्रि व्रत में उपवास और रात्रि जागरण का क्या महत्व है?

महाशिवरात्रि व्रत का महत्व

किसी भी मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मानी जाती है। किंतु माघ (फाल्गुन कृष्ण पक्ष) की चतुर्दशी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है और महाशिवरात्रि कही जाती है। गरूड़, स्कंद, पद्म, अग्नि आदि पुराणों में इसका वर्णन मिलता है। इस देश में जितने प्रकार के पूजा, व्रत, उपवास प्रचलित हैं, उनमें महाशिवरात्रि व्रत के समान महत्ता अन्य किसी की नहीं है। इस वर्ष 18 फरवरी 2023 को महाशिवरात्रि है। संपूर्ण भारत के स्त्री-पुरुष, …

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विष्णु के मत्स्य अवतार की कथा : हयग्रीव का वध और वेदों की रक्षा

विष्णु के मत्स्य अवतार की कथा

भगवान विष्णु के 10 प्रमुख अवतारों में मत्स्य अवतार का स्थान प्रथम है। मत्स्य अर्थात मछली का रूप धारण कर भगवान विष्णु ने दैत्यों का संहार किया और पृथ्वी को प्रलय से बचाया। श्रीमद्भागवत में कहा गया है – प्रलयपयसि धातुः सुप्तशक्तेर्मुखेभ्यः  श्रुतिगणमपनीतं प्रत्युपादत्त हत्वा।  दितिजमकथयद् यो ब्रह्म सत्यव्रतानां तमहमखिलहेतुं जिह्ममीनं नतोस्मी। अर्थात प्रलय कालीन समुद्र में जब ब्रह्मा जी सो गए थे, उनकी सृष्टि-शक्ति लुप्त हो चुकी थी, उस समय उनके मुख से निकली …

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