Month: September 2022

शिव को महाकाल क्यों कहा जाता है?

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा

भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान तीसरा है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में क्षिप्रा नदी के तट पर पवित्र उज्जैन नगर में स्थित है। उज्जैन का पुराणों और प्राचीन अन्य ग्रन्थों में ‘उज्जयिनी’ तथा ‘अवन्तिकापुरी’ के नाम से उल्लेख किया गया है। अवन्तिकापुरी की गणना सात मोक्षदायिनी पुरियों में की गई है – अयोध्या मथुरा माया काशी कांची ह्यवन्तिका। पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः।। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत का एकमात्र …

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का माहात्म्य

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा

ओंकारेश्वर भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जो नर्मदा और काबेरी (स्थानीय नदी) के संगम पर स्थित है। यहां भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। यह स्थान प्राचीन काल से ही तीर्थस्थल के रूप में प्रख्यात है। ओंकारेश्वर मंदिर पूर्वी निमाड़ (खंडवा) जिले में नर्मदा के दाहिने तट पर मंधाता द्वीप पर स्थित है जबकि बाएं तट पर ममलेश्वर है जिसे कुछ लोग असली प्राचीन …

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अनंत चतुर्दशी व्रत क्यों किया जाता है?

अनंत चतुर्दशी व्रत

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस भी कहा जाता है। अनंत चतुर्दशी जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु की उपासना का प्रतीक पर्व है। विष्णु पुराण में इस व्रत की महिमा का विस्तृत वर्णन किया गया है। इस व्रत के संबंध में यह लोककथा प्रचलित है कि जिस समय युधिष्ठिर अपना राज-पाट हार कर वनवास कर रहे थे तो भगवान कृष्ण उनसे मिलने …

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आधुनिक समय में पुराण का महत्व क्या है?

धर्म संपूर्ण विश्व के धारण, पोषण, सामंजस्य एवं ऐकमत्व का संपादन करने वाला एकमात्र तत्व है। धर्म का सम्यक ज्ञान वेदों और उसकी सरल व्याख्या करने वाले पुराण आदि के द्वारा ही संपन्न होता है। पुराणों के कारण ही धर्म की रक्षा और भक्ति का मनोरम विकास संभव हो सका है। इसी कारण भारतीय धर्म और संस्कृति में प्राचीन काल से ही पुराण का महत्व रहा है और यह भविष्य में भी बना रहेगा।  हिंदू …

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भगवान विष्णु के वामन अवतार की कथा

bhagwan Vishnu ka Vamana Avatar

हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के अवतार लेने के कारण एवं उद्देश्यों को स्पष्ट किया गया है। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं – परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुष्कृताम्।  धर्मसंस्थापनार्थय संभवामि युगे युगे।। अर्थात धर्म की स्थापना के लिए, साधु एवं सज्जन पुरुषों को परित्राण अर्थात मुक्ति प्रदान करने के लिए एवं दुष्टों का विनाश करने के लिए मैं विभिन्न युगों में उत्पन्न होता हूं।  विभिन्न पौराणिक …

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